Cheque Bounce New Rule : भारत सरकार ने वित्तीय धोखाधड़ी की बढ़ती समस्याओं को देखते हुए परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 में महत्वपूर्ण संशोधन किए हैं, जो 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होंगे।
ये नए नियम चेक बाउंस के मामलों में कड़ी कार्रवाई करने, भुगतान प्रणाली को अधिक पारदर्शी बनाने और निर्दोष लोगों को धोखाधड़ी से बचाने के उद्देश्य से लाए गए हैं।
दंड में उल्लेखनीय वृद्धि
नए संशोधित कानून के तहत, जानबूझकर चेक बाउंस कराने की स्थिति में सजा की अवधि पहले के एक साल से बढ़ाकर दो साल कर दी गई है। इसके साथ ही अदालत द्वारा चेक की राशि के दोगुने तक जुर्माना भी लगाया जा सकता है। यह कड़ा कदम जानबूझकर चेक बाउंस कराने वालों के खिलाफ सख्त रुख अपनाने का संकेत है।
धारा 138 के तहत चेक बाउंस एक आपराधिक अपराध है, जिसमें दो साल तक की कैद या चेक की राशि के दोगुने तक जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है। हालांकि, तकनीकी खराबी या बैंक की त्रुटि के कारण चेक बाउंस होने पर अभी भी राहत का प्रावधान है।
ऑनलाइन शिकायत प्रक्रिया की शुरुआत
संशोधित नियमों के अनुसार, चेक बाउंस की शिकायत अब ऑनलाइन दर्ज कराई जा सकती है और डिजिटल साक्ष्य को भी स्वीकार किया जाएगा। इस कदम से शिकायत दर्ज कराना आसान हो जाएगा और मामलों की सुनवाई पहले की तुलना में अधिक तेज़ और कुशल होगी।
सभी बैंकों के लिए समान प्रक्रिया लागू की गई है। अब यह मायने नहीं रखता कि चेक बाउंस का मामला किस बैंक से संबंधित है, सभी मामलों में समान कार्रवाई की जाएगी। यह एकरूपता वित्तीय व्यवस्था में अधिक पारदर्शिता लाएगी।
बैंकों की जिम्मेदारी में वृद्धि
नए नियमों के अनुसार, यदि कोई चेक बाउंस होता है, तो बैंक को 24 घंटे के भीतर खाताधारक और चेक प्राप्तकर्ता दोनों को एसएमएस और ईमेल के माध्यम से सूचित करना होगा। यह तत्काल सूचना प्रणाली दोनों पक्षों को समस्या के बारे में जल्दी पता लगाने में मदद करेगी।
एक महत्वपूर्ण नियम यह है कि यदि किसी व्यक्ति के चेक लगातार तीन बार बाउंस होते हैं, तो बैंक अस्थायी रूप से उसका खाता फ्रीज कर देगा। इस कदम का मुख्य उद्देश्य भुगतान प्रणाली को अधिक कुशल और अनुशासित बनाना है।
बैंक द्वारा चेक बाउंस की स्थिति में 100 रुपये से 750 रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। यह शुल्क बैंक और चेक की राशि के आधार पर अलग-अलग हो सकता है।
कानूनी नोटिस और कार्रवाई की प्रक्रिया
चेक बाउंस की स्थिति में, प्राप्तकर्ता को बैंक से चेक बाउंस की सूचना मिलने के 30 दिन के भीतर चेक जारीकर्ता को कानूनी नोटिस भेजना होगा। यह नोटिस धारा 138 के तहत भेजा जाता है और इसमें तत्काल भुगतान की मांग की जाती है।
नोटिस मिलने के बाद चेक जारीकर्ता के पास 15 दिन का समय होता है भुगतान करने के लिए। यदि इस अवधि में भुगतान नहीं किया जाता, तो 15 दिन की अवधि समाप्त होने के 30 दिन के भीतर अदालत में मामला दर्ज कराया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण फैसले
2024 में सुप्रीम कोर्ट ने चेक बाउंस के मामलों में कई महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं। राज रेड्डी कल्लेम बनाम हरियाणा राज्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि धारा 138 के तहत समझौता करने के लिए चेक जारीकर्ता और प्राप्तकर्ता दोनों की सहमति आवश्यक है।
यहाँ तक कि यदि राशि का भुगतान कर दिया जाए और समझौता हो जाए, फिर भी यदि प्राप्तकर्ता समझौते के लिए सहमति नहीं देता तो आपराधिक कार्यवाही जारी रह सकती है। यह निर्णय चेक बाउंस के मामलों में समझौते की प्रक्रिया को अधिक जटिल बना देता है।
दशरथ रूपसिंह राठौर बनाम महाराष्ट्र राज्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने क्षेत्राधिकार के संबंध में महत्वपूर्ण बदलाव किया है। अब चेक बाउंस का मामला उस स्थान पर दर्ज कराना होगा जहाँ बैंक की शाखा स्थित है जिस पर चेक काटा गया था।
सबूत और वित्तीय क्षमता की आवश्यकता
2024 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले में स्पष्ट किया गया कि शिकायतकर्ता को पर्याप्त सबूत देना होगा कि चेक किसी कानूनी दायित्व को पूरा करने के लिए जारी किया गया था। केवल चेक बाउंस होना काफी नहीं है, बल्कि यह साबित करना होगा कि चेक वास्तविक ऋण या देनदारी के लिए दिया गया था।
अदालत ने वित्तीय क्षमता के सबूत की आवश्यकता पर भी जोर दिया है। शिकायतकर्ता को यह साबित करना होगा कि उसके पास वास्तव में वह राशि देने की क्षमता थी जिसके लिए चेक दिया गया था। आयकर रिटर्न जैसे दस्तावेज इसके लिए महत्वपूर्ण साक्ष्य माने जाते हैं।
अंतरिम मुआवजे का प्रावधान
2018 के संशोधन के तहत धारा 143A के अनुसार, चेक बाउंस के मामले में प्राप्तकर्ता को चेक की राशि का 20% तक अंतरिम मुआवजा मिल सकता है। यह मुआवजा दो स्थितियों में दिया जाता है – जब चेक जारीकर्ता अदालत में दोषी नहीं मानने की दलील देता है या जब आरोप तय हो जाते हैं।
यह प्रावधान चेक प्राप्तकर्ताओं के अधिकारों की बेहतर सुरक्षा करता है और जारीकर्ताओं को लंबी कानूनी लड़ाई का दुरुपयोग करने से रोकता है।
व्यावहारिक सुझाव और सावधानियां
नए नियमों के तहत व्यक्तियों को निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए:
चेक जारी करने वालों के लिए:
खाते में पर्याप्त बैलेंस रखें ताकि चेक बाउंस न हो
चेक पर तारीख और प्राप्तकर्ता का नाम सही लिखें
हस्ताक्षर में किसी प्रकार की त्रुटि न करें
आरबीआई के 2021 के नियम के अनुसार, चेक का उपयोग करने वालों को बैंक खाते में न्यूनतम बैलेंस बनाए रखना आवश्यक है
चेक प्राप्त करने वालों के लिए:
चेक की सभी जानकारी सत्यापित करें
चेक बाउंस की स्थिति में तुरंत कानूनी नोटिस भेजें
सभी दस्तावेजों की प्रतियां सुरक्षित रखें
वित्तीय क्षमता के पर्याप्त सबूत तैयार रखें
डिजिटल साक्ष्य की स्वीकार्यता
नए नियमों में डिजिटल साक्ष्य की स्वीकार्यता एक महत्वपूर्ण बदलाव है। अब ईमेल, एसएमएस, डिजिटल रिकॉर्ड और इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज भी अदालत में वैध साक्ष्य माने जाएंगे। यह आधुनिक युग की डिजिटल लेन-देन की वास्तविकता को दर्शाता है।
भविष्य की चुनौतियां और अवसर
ये नए नियम भारतीय वित्तीय प्रणाली में अनुशासन लाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। कड़ी सजा और तेज़ कार्रवाई की व्यवस्था से चेक बाउंस के मामलों में कमी आने की उम्मीद है। डिजिटल शिकायत प्रक्रिया न्याय व्यवस्था को अधिक पहुंचयोग्य और कुशल बनाएगी।
हालांकि, नए नियमों के साथ कुछ चुनौतियां भी हैं। समझौते के लिए दोनों पक्षों की सहमति की आवश्यकता कई मामलों में जटिलता बढ़ा सकती है। व्यापारियों और आम लोगों को इन नए नियमों के बारे में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है।
Cheque Bounce New Rule : चेक बाउंस को लेकर बदल गया नियम
चेक बाउंस के नए नियम 2025 भारतीय वित्तीय व्यवस्था में एक नया युग शुरू करते हैं। कड़ी सजा, तेज़ कार्रवाई, डिजिटल प्रक्रिया और सख्त बैंकिंग प्रोटोकॉल के साथ चेक का उपयोग अब पहले से कहीं अधिक नियंत्रित है। इन नियमों का उद्देश्य वित्तीय अनुशासन को बढ़ावा देना और निर्दोष लोगों को धोखाधड़ी से बचाना है।
व्यक्तियों और व्यापारियों को इन नए नियमों की पूरी जानकारी रखनी चाहिए, अपने बैंक खाते में पर्याप्त राशि रखनी चाहिए और सभी भुगतानों का उचित दस्तावेजीकरण करना चाहिए। केवल सतर्कता और जागरूकता से ही इन नए कानूनों के गलत पक्ष में आने से बचा जा सकता है।